इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईआरडीएआई) वह शीर्ष संस्था है जो भारत में इंश्योरेंस सेक्टर को नियंत्रित करती है. यह लाइफ इंश्योरेंस तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसमें नॉन-लाइफ या जनरल इंश्योरेंस सेगमेंट भी शामिल हैं. आजकल, लोगों में टू-व्हीलर की बढ़ती पसंद के चलते टू-व्हीलर इंश्योरेंस सेगमेंट तेज़ी से बढ़ रहा है. साथ ही, मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के तहत देश में रजिस्टर होने वाले सभी वाहनों के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी का होना अनिवार्य है. इस प्रकार, टू-व्हीलर इंश्योरेंस की ज़रूरत तेज़ी से बढ़ रही है. इंटरनेट की इस दुनिया में, आप आसानी से खरीद सकते हैं
बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी ऑनलाइन. इसने पूरी प्रोसेस आसान और सुविधाजनक बना दी है. आप थर्ड-पार्टी प्लान खरीद रहे हों या कम्प्रीहेंसिव प्लान, रजिस्ट्रेशन नंबर और बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी नंबर चाहिए ही चाहिए.
रजिस्ट्रेशन नंबर क्या होता है?
रजिस्ट्रेशन नंबर रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) द्वारा जारी एक यूनीक नंबर होता है. यह नंबर हर वाहन के लिए अलग होता है और यह वाहन और उसके सारे रिकॉर्ड की पहचान करने का काम करता है. हर नए वाहन को खरीद से 30 दिनों के भीतर रजिस्टर करवाना ज़रूरी होता है. रजिस्ट्रेशन नंबर का एक पहले से तय फॉर्मेट होता है जिसमें अक्षर और संख्याओं दोनों का इस्तेमाल किया जाता है. वह फॉर्मेट है XX YY XX YYYY, जिसमें 'X' अक्षरों को और 'Y' संख्याओं को दर्शाता है. पहले दो अक्षर राज्य का कोड होते हैं, यानि वह राज्य जहां वाहन रजिस्टर्ड है. अगले दो अंक ज़िला कोड या रजिस्टर करने वाले आरटीओ का कोड दिखाते हैं. इसके बाद आरटीओ की यूनीक कैरेक्टर सीरीज़ होती है. आखिरी चार अंक वाहन का यूनीक नंबर होते हैं. अक्षरों और संख्याओं का इस्तेमाल करके आपके वाहन की विशिष्ट पहचान बनती है, जिसे आरटीओ के रिकॉर्ड में स्टोर किया जाता है. कोई भी दो वाहनों का रजिस्ट्रेशन नंबर एक जैसा नहीं हो सकता है. पहले छह अक्षरों और अंकों वाला हिस्सा एक जैसा हो सकता है, पर आखिरी चार अंक आपके वाहन को उसकी विशिष्ट पहचान देते हैं. इस रजिस्ट्रेशन नंबर से आप अपने बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी नंबर समेत वाहन की कई जानकारी का पता लगा सकते हैं
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बाइक इंश्योरेंस ऑनलाइन खरीदने में रजिस्ट्रेशन नंबर किस तरह काम आता है?
आपकी बाइक की पहचान के साथ-साथ इन मामलों में भी रजिस्ट्रेशन नंबर ज़रूरी होता है.
बाइक इंश्योरेंस खरीदते समय: आप टू व्हीलर इंश्योरेंस चाहे ऑनलाइन खरीदें या ऑफलाइन, आपको रजिस्ट्रेशन नंबर चाहिए ही चाहिए. सभी
व्हीकल इंश्योरेंस पॉलिसी में वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा होता है. यह दिखाता है कि इंश्योरेंस पॉलिसी का कवरेज यूनीक रजिस्ट्रेशन नंबर वाले विशेष वाहन तक सीमित और प्रतिबंधित है.
बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी के रिन्यूअल के समय: जब आप करते हैं
टू व्हीलर इंश्योरेंस रिन्यूअल, तब अपनी इच्छा अनुसार आप अपनी इंश्योरेंस कंपनी बदल सकते हैं या उसी कंपनी से दोबारा इंश्योरेंस ले सकते हैं. आप चाहे जो भी चुनें, आपको इंश्योरेंस कंपनी को अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर बताना होगा. इससे आपकी इंश्योरेंस कंपनी को आपके वाहन के मौजूदा रिकॉर्ड, अगर कोई हों, निकालने में मदद मिलेगी.
बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी नंबर खो जाने के मामले में: आजकल इंश्योरेंस पॉलिसी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट या फिज़िकल फॉर्मेट में भी दी जाती हैं. अगर आप अपना पॉलिसी डॉक्यूमेंट गुम कर देते हैं और आपको बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी नंबर याद नहीं है, तो आप अपनी इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क कर सकते हैं. आपके वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबर की सहायता से कोई भी ऐक्टिव इंश्योरेंस पॉलिसी तलाशी जा सकती है. यह जानकारी आपकी इंश्योरेंस कंपनी की वेबसाइट या रेगुलेटर की वेबसाइट पर भी खोजी जा सकती है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कुछ एप्लीकेशन बनाए हैं जिनमें चेसी नंबर, पोल्यूशन सर्टिफिकेट की जानकारी, खरीद की तिथि और बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी नंबर समेत सारी जानकारी होती है. इन कुछ मामलों में आपका रजिस्ट्रेशन नंबर, कई डेटाबेस से जानकारी प्राप्त करने के काम आ सकता है. प्रत्येक वाहन के लिए अक्षरों और अंकों से बने एकमात्र और विशिष्ट नंबर से वाहन से जुड़ी जानकारी को खोज पाना न केवल सुविधाजनक है बल्कि आसान भी है. इसलिए अगर आप अपना पॉलिसी डॉक्यूमेंट खो देते हैं, तो चिंता न करें, आप रजिस्ट्रेशन की जानकारी का इस्तेमाल करके डुप्लीकेट कॉपी के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
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