आप टू-व्हीलर खरीदते समय उलझन में पड़ सकते हैं. अपने लिए सही टू-व्हीलर का चुनाव करते समय आपको बहुत से कारकों पर विचार करने की आवश्यकता होती है, जो आपको आसानी से दुविधा में डाल सकते हैं. टू-व्हीलर खरीदने वाले लोग इसका उपयोग अलग-अलग तरीके से करते हैं. कुछ लोग इसका इस्तेमाल आने-जाने के लिए करते है, जबकि कुछ लोग इसे शौकिया तौर पर मोटर स्पोर्ट्स के लिए इस्तेमाल करते हैं. डिज़ाइन, पावर आउटपुट, वज़न कुछ ऐसे कारक हैं, जिन्हें टू-व्हीलर खरीदते समय चेक किया जाता है. ऐसा ही अन्य कारक क्यूबिक क्षमता है, जिसे अक्सर "सीसी" के नाम से जाना जाता है.
बाइक की सीसी का अर्थ
बाइक की क्यूबिक क्षमता या सीसी उसके इंजन का पावर आउटपुट होता है. क्यूबिक क्षमता बाइक इंजन के चेम्बर का कुल आयतन होता है. क्यूबिक क्षमता जितनी अधिक होगी, एयर और फ्यूल के मिश्रण की उतनी ही अधिक मात्रा पावर पाने के लिए कम्प्रेस की जा सकती है. एयर और फ्यूल के मिश्रण का यह कम्प्रेशन बड़े पावर आउटपुट के रूप में सामने आता है. अलग-अलग बाइकों के इंजन की क्यूबिक क्षमता अलग-अलग होती है, जो 50 सीसी से शुरू होती है, स्पोर्ट्स क्रूज़र बाइकों में यह 1800 सीसी तक हो सकती है. इंजन की यह क्यूबिक क्षमता यह समझने में एक आवश्यक कारक है कि टॉर्क, हॉर्सपावर और माइलेज के मामले में इंजन कितना आउटपुट पैदा कर सकता है. केवल यही नहीं, इससे बाइक इंश्योरेंस प्रीमियम भी प्रभावित होता है.
आपके बाइक की सीसी आपके प्रीमियम को कैसे प्रभावित करती है?
बाइक इंश्योरेंस प्रीमियम की गणना केवल एक ही कारक के आधार पर नहीं की जाती, इसके लिए कई कारकों पर विचार किया जाता है, जिनमें से एक बाइक की क्यूबिक क्षमता भी है. यही कारण है कि आपने देखा होगा कि एक ही तरह के टू-व्हीलर मालिक अपने वाहन के लिए अलग-अलग इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान करते हैं. दो प्रकार के होते हैं
बाइक इंश्योरेंस प्लान हैं, जिन्हें आप खरीद सकते हैं - थर्ड-पार्टी और कम्प्रीहेंसिव. थर्ड पार्टी बाइक इंश्योरेंस कवर सभी बाइक मालिकों के लिए न्यूनतम आवश्यकता है, जो थर्ड पार्टी की चोटों और प्रॉपर्टी को होने वाले नुकसान को कवर करता है. इन प्लान के लिए प्रीमियम रेगुलेटर संस्था, IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) द्वारा निर्धारित किए जाते हैं. IRDAI ने बाइक इंश्योरेंस प्रीमियम निर्धारित करने के लिए वाहन की क्यूबिक क्षमता के आधार पर स्लैब की दरों को परिभाषित किया है. नीचे दी गई टेबल में इसे विस्तार से बताया गया है –
बाइक की क्यूबिक क्षमता के स्लैब |
टू-व्हीलर के लिए थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस की कीमत |
75 सीसी तक |
₹ 482 |
75 cc से अधिक और 150 cc तक |
₹ 752 |
150 cc से अधिक और 350 cc तक |
₹1193 |
350 cc से अधिक |
₹2323 |
इसके विपरीत कम्प्रीहेंसिव कवर में, कवरेज थर्ड पार्टी के नुकसान तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि स्वयं को हुए नुकसान को भी कवर करता है. इस तरह , प्रीमियम केवल वाहन की क्यूबिक क्षमता पर आधारित न होकर कई अन्य कारकों पर आधारित होता है. यहां कुछ कारक दिए गए हैं, जो कम्प्रीहेंसिव प्लान के प्रीमियम को प्रभावित करते हैं.
- बाइक का मॉडल प्रीमियम निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. विभिन्न निर्माताओं के विभिन्न मॉडलों की कीमत अलग-अलग होती है, इसलिए इंश्योरर के लिए जोखिम भी वाहन के मॉडल के आधार पर अलग-अलग होता है.
- इसके बाद, वाहन की इंजन क्षमता जितनी अधिक होगी, इसका इंश्योरेंस प्रीमियम उतना ही अधिक होगा, क्योंकि जितनी अधिक क्षमता की बाइक होगी उसकी मरम्मत में आने वाला खर्च भी उतना ही अधिक होता है.
- इसके अलावा, स्वैच्छिक डिडक्टिबल एक ऐसा कारक है, जो बाइक इंश्योरेंस प्रीमियम को प्रभावित करता है. इसके तहत हर इंश्योरेंस क्लेम के साथ एक मामूली राशि का भुगतान करना आवश्यक होता है. इस राशि को स्टैंडर्ड डिडक्टिबल के नाम से जाना जाता है. लेकिन स्टैंडर्ड डिडक्टिबल के अलावा, आप स्वैच्छिक डिडक्टिबल का विकल्प भी चुन सकते हैं, जिसमें आपको अपने इंश्योरेंस क्लेम की कुछ राशि डिडक्टिबल के रूप में चुननी होती है. यही राशि आपके बाइक इंश्योरेंस के प्रीमियम को कम करने में मदद करती है.
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