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What is CC of Bike?
19 मार्च, 2023

बाइक की क्यूबिक क्षमता (सीसी) का क्या अर्थ है?

आप टू-व्हीलर खरीदते समय उलझन में पड़ सकते हैं. सही टू-व्हीलर खरीदने के लिए कई बातों पर विचार करना ज़रूरी होता है और इसलिए संभव है कि आप ऐसे में उलझन में पड़ जाएं. टू-व्हीलर खरीदने वाले लोग इसका उपयोग अलग-अलग तरीके से करते हैं. कुछ लोग इसका इस्तेमाल आने-जाने के लिए करते है, जबकि कुछ लोग इसे शौकिया तौर पर मोटर स्पोर्ट्स के लिए इस्तेमाल करते हैं. डिज़ाइन, पावर आउटपुट, वज़न कुछ ऐसे कारक हैं, जिन्हें टू-व्हीलर खरीदते समय चेक किया जाता है. ऐसी ही एक दूसरी चीज़ है क्यूबिक कैपेसिटी, जिसे संक्षेप में “CC” लिखते हैं.

बाइक की सीसी का अर्थ

बाइक की क्यूबिक क्षमता या सीसी उसके इंजन का पावर आउटपुट होता है. क्यूबिक क्षमता बाइक इंजन के चेम्बर का कुल आयतन होता है. यह कैपेसिटी जितनी अधिक होगी, पॉवर बनाने के लिए उतनी ही अधिक मात्रा में हवा और ईंधन का मिश्रण कंप्रेस होगा. हवा और ईंधन के मिश्रण की इस बड़ी मात्रा के कंप्रेस होने से अधिक पॉवर बनेगी. अलग-अलग बाइकों में अलग-अलग कैपेसिटी के इंजन होते हैं; यह कैपेसिटी 50 CC से शुरू होकर कुछ स्पोर्ट्स क्रूज़र बाइकों के मामले में 1800 CC तक जाती है। इंजन की इस क्यूबिक कैपेसिटी से आप समझ सकते हैं कि इंजन कितना टॉर्क, कितनी हॉर्सपॉवर और कितना माइलेज दे सकता है. साथ ही, इससे बाइक इंश्योरेंस प्रीमियम भी प्रभावित होता है.

बाइकों में CC की भूमिका क्या है?

बाइक की क्यूबिक कैपेसिटी से पता चलता है कि बाइक का इंजन कितनी पॉवर पैदा कर सकता है. बाइक इंजन के चैंबर के आयतन को ही उसकी क्यूबिक कैपेसिटी कहते हैं. CC अधिक होने का अर्थ है आयतन अधिक होना, यानी हवा और ईंधन अधिक मात्रा में मिलेंगे जिससे अधिक पॉवर पैदा होगी.

भारत में बाइक की CC कितनी तक हो सकती है?

आम लाइसेंस के साथ 500 CC तक की बाइक चलाई जा सकती हैं. 500 से अधिक CC वाली बाइकों के लिए एक अलग लाइसेंस जारी किया जाता है.

बाइक में अधिक CC का लाभ क्या है?

बाइक की CC अधिक होने का अर्थ है कि इंजन में हवा और ईंधन का अधिक मिश्रण बनता है, जिससे शक्तिशाली आउटपुट मिलता है.

आपके बाइक की सीसी आपके प्रीमियम को कैसे प्रभावित करती है?

बाइक इंश्योरेंस प्रीमियम की गणना केवल एक ही कारक के आधार पर नहीं की जाती, इसके लिए कई कारकों पर विचार किया जाता है, जिनमें से एक बाइक की क्यूबिक क्षमता भी है. इसलिए आपने शायद देखा होगा कि एक जैसे टू-व्हीलर के मालिक कभी-कभी अपने वाहन के लिए अलग-अलग इंश्योरेंस प्रीमियम चुकाते हैं. दो प्रकार के होते हैं बाइक इंश्योरेंस प्लान हैं, जिन्हें आप खरीद सकते हैं - थर्ड-पार्टी और कम्प्रीहेंसिव. थर्ड पार्टी बाइक इंश्योरेंस कवर सभी बाइक मालिकों के लिए न्यूनतम आवश्यकता है, जो थर्ड पार्टी की चोटों और प्रॉपर्टी को होने वाले नुकसान को कवर करता है. इन प्लान के लिए प्रीमियम रेगुलेटर संस्था, आईआरडीएआई (इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) द्वारा निर्धारित किए जाते हैं. आईआरडीएआई ने बाइक इंश्योरेंस प्रीमियम तय करने के लिए वाहन की क्यूबिक कैपेसिटी के आधार पर स्लैब रेट बनाए हैं। नीचे दी गई टेबल में वे रेट विस्तार से बताए गए हैं –
बाइक की क्यूबिक क्षमता के स्लैब टू-व्हीलर के लिए थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस की कीमत
75 सीसी तक ₹ 482
75 सीसी से अधिक लेकिन 150 सीसी से कम ₹ 752
150 सीसी से अधिक लेकिन 350 सीसी से कम ₹1193
350 cc से अधिक ₹2323
  कॉम्प्रिहेंसिव कवर में कवरेज थर्ड-पार्टी नुकसान तक सीमित नहीं होती है बल्कि वह ओन-डैमेज को भी कवर करती है. इस तरह , प्रीमियम केवल वाहन की क्यूबिक क्षमता पर आधारित न होकर कई अन्य कारकों पर आधारित होता है. यहां कुछ कारक दिए गए हैं, जो कम्प्रीहेंसिव प्लान के प्रीमियम को प्रभावित करते हैं.
  • बाइक का मॉडल प्रीमियम निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. विभिन्न निर्माताओं के विभिन्न मॉडलों की कीमत अलग-अलग होती है, इसलिए इंश्योरर के लिए जोखिम भी वाहन के मॉडल के आधार पर अलग-अलग होता है.
  • इसके बाद, इंजन की कैपेसिटी जितनी अधिक होगी, इंश्योरेंस प्रीमियम उतना ही अधिक होगा, क्योंकि मरम्मत की लागत अधिक होगी.
  • स्वैच्छिक डिडक्टिबल भी बाइक इंश्योरेंस प्रीमियम को प्रभावित करती है। हर इंश्योरेंस क्लेम के साथ एक मामूली राशि चुकानी होती है. इस राशि को स्टैंडर्ड डिडक्टिबल के नाम से जाना जाता है. लेकिन स्टैंडर्ड डिडक्टिबल के साथ-साथ, आप स्वैच्छिक डिडक्टिबल भी चुन सकते हैं, जिसमें आप इंश्योरेंस क्लेम की कुछ राशि अपनी जेब से चुकाने पर सहमत होते हैं. यही राशि आपके बाइक इंश्योरेंस के प्रीमियम को कम करने में मदद करती है.
कम्प्रीहेंसिव कवर के प्रीमियम की गणना तुरंत हमारे बाइक इंश्योरेंस कैलकुलेटर से की जा सकती है. इसे अभी आज़माएं! ऊपर बताई गईं चीज़ों के साथ-साथ, नो-क्लेम बोनस, आपकी बाइक के सुरक्षा उपकरण और आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी में शामिल ऐड-ऑन भी ऐसी कुछ अन्य चीज़ें हैं जो प्रीमियम को प्रभावित करती हैं.

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. क्या CC से बाइक की स्पीड प्रभावित होती है?

हालांकि CC से बाइक की स्पीड प्रभावित नहीं होती है, पर उससे लंबे समय में बाइक की परफॉर्मेंस ज़रूर प्रभावित होती है.
  1. CC से बाइक की कीमत कैसे प्रभावित होती है?

अधिक CC वाली बाइक की कीमत अधिक होती है क्योंकि अधिक पॉवर और टॉर्क पैदा करने के लिए उसमें बड़ा इंजन लगता है.
  1. क्या 1000 CC बाइक के लिए थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस आवश्यक है?

हां, मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के अनुसार, हर वाहन को थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस द्वारा इंश्योर्ड करना आवश्यक है.  

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