1988 का मोटर वाहन अधिनियम संसद में इस उद्देश्य से पेश किया गया था कि यह सड़क पर चलने वाले सभी वाहनों को नियंत्रित करेगा और ऐसे उचित नियम व कानून बनाएगा, जिसका पालन करना सभी वाहन मालिकों के लिए अनिवार्य होगा. इस अधिनियम के लागू होने की तिथि 1
st जुलाई 1989 थी. भारतीय के सभी राज्यों के राज्य परिवहन मंत्रियों से परामर्श करने के बाद यह अधिनियम बनाया गया. इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य मौजूदा मोटर वाहन अधिनियम 1939 को हटाना था, जो समय के साथ प्रभावित नहीं रह गया था. यह अधिनियम वाहनों की मांग में वृद्धि के साथ-साथ वाहन तकनीक की निरंतर प्रगति को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था.
मोटर वाहन अधिनियम का संक्षिप्त विवरण
इस अधिनियम के कुछ मूल संक्षिप्त विवरण इस प्रकार से हैं:
- सड़क पर वाहन चलाने वाले प्रत्येक चालक के पास मान्य लाइसेंस होना अनिवार्य है.
- प्रत्येक वाहन मालिक को अपना वाहन रजिस्टर्ड कराना होगा, जिसकी अवधि अधिनियम के तहत आमतौर पर 15 वर्षों तक होती है.
- सड़क पर वाहन चलाने वाले प्रत्येक वाहन मालिक के पास इंश्योरेंस होना अनिवार्य है. अगर आपके पास कार है, तो आपके पास ज़रूर होना चाहिए कार इंश्योरेंस. अगर आपके पास बाइक है, तो आपके पास ज़रूर होना चाहिए बाइक इंश्योरेंस.
अधिनियम के प्रमुख सेक्शन
मोटर वाहन अधिनियम के महत्वपूर्ण सेक्शन निम्नलिखित हैं:
- सेक्शन 3- भारतीय सड़कों पर आपके वाहन को चलाने के लिए अधिकारियों द्वारा जारी लाइसेंस अनिवार्य है. यह कार, बाइक, रिक्शा और भारी वाहनों पर लागू होता है.
- सेक्शन 4- केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को स्थायी लाइसेंस जारी किया जा सकता है. इससे कम आयु के लोगों को किसी भी तरह का वाहन चलाने की अनुमति नहीं है, जब तक कि उनके पास लर्नर परमिट न हो, जो 16 वर्ष की आयु में जारी किया जाता है.
- सेक्शन 39- अगर आपके पास कोई वाहन है, तो कानूनी रूप से इसे चलाने के लिए आपको अधिनियम के अनुसार इसे रजिस्टर करना आवश्यक है.
- सेक्शन 112- आपको सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा निर्धारित स्पीड लिमिट का पालन करना होगा. स्पीड लिमिट हर राज्य के लिए अलग-अलग होती हैं. इन लिमिट को पार करने पर आप पर ज़ुर्माना लगाया जा सकता है.
- सेक्शन 140 – अगर दूसरे के वाहन या प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचता है, तो वाहन के चालक को थर्ड पार्टी को क्षतिपूर्ति करनी होगी. अगर कोई व्यक्ति घायल हो जाते हैं या उनकी मृत्यु हो जाती है, तो क्षतिपूर्ति के नियम निम्न हैं:
- अगर किसी की मृत्यु हो जाती है, तो 50,000 प्राप्त होता है
- स्थायी रूप से विकलांग होने पर 25,000 प्राप्त होता है
- सेक्शन 185 – ड्राइवर के शराब पीकर या नशे में वाहन चलाने पर निम्नलिखित शर्तों के तहत ज़ुर्माना लगाया जाएगा:
- खून में प्रति 100 एमएल 30एमजी की लिमिट होनी चाहिए. इस लिमिट को पार करना अपराध है.
मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन
2019 में, भारतीय संसद में मोटर वाहन संशोधन बिल पेश किया गया था, ताकि बदलते समय और ज़रूरत के साथ इसे मान्य बनाए रखा जा सके. कुछ संशोधन की जानकारी नीचे दी गई है:
- वाहन के रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के लिए अप्लाई करते समय आधार कार्ड अनिवार्य है.
- सरकार द्वारा हिट एंड रन पीड़ितों के परिवार को रु. 2 लाख की क्षतिपूर्ति दी जाएगी.
- अगर नाबालिग वाहन चलाते हुए पाए जाते हैं, तो इसके लिए उनके कानूनी अभिभावकों को ज़िम्मेदार माना जाएगा, चाहे वे उनकी देखरेख में चला रहे हों या अनजाने में चला रहे हों.
- शराब पीकर गाड़ी चलाने पर ज़ुर्माना बढ़ाकर रु. 10,000 कर दिया गया है
- ऐसी स्थिति, जहां किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है या उनको गंभीर चोट लग जाती है, तो उस स्थिति में थर्ड पार्टी के लिए पिछली देयता लिमिट हटा दी गई है.
इन संशोधनों को सरकार द्वारा 2020 में अनुमोदित और लागू किया गया था.
नए संशोधन के अनुसार ज़ुर्माना
2019 में अधिनियम में लगाए गए कुछ जुर्माने निम्न हैंः:
- अगर आप बिना लाइसेंस के वाहन चलाते हुए पाए जाते हैं, तो रु. 5,000 का ज़ुर्माना लगाया जाएगा और/या कम्युनिटी सर्विस करने का दंड मिलेगा.
- अगर पहली बार शराब पीकर या नशे में वाहन चलाते हुए पाए जाते हैं, तो रु. 10,000 का ज़ुर्माना और/या 6 महीने की जेल होगी. दूसरी बार यही अपराध करने पर ज़ुर्माना रु. 15,000 तक बढ़ाया जा सकता है और/ या 2 साल तक की जेल हो सकती है.
- सीटबेल्ट के बिना वाहन चलाने पर रु. 1,000 का ज़ुर्माना लगेगा और/या कम्युनिटी सर्विस का दंड मिलेगा.
- अगर वाहन चलाते समय फोन पर बात करते हुए या इसका उपयोग करते हुए पाए जाते हैं, तो रु. 5,000 का ज़ुर्माना लगेगा.
- अगर बिना हेलमेट के वाहन चलाते हुए पाए जाते हैं, तो रु. 500 का ज़ुर्माना लगेगा.
मोटर वाहन अधिनियम, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को अनिवार्य बनाता है. इंश्योरेंस के बिना पहली बार वाहन चलाने का अपराध करने पर रु. 2,000 का ज़ुर्माना और/या कम्युनिटी सर्विस के साथ 3 महीने की जेल हो सकती है. दूसरी बार यह अपराध करने पर ज़ुर्माना रु. 4,000 तक बढ़ जाता है.
संक्षेप में
वाहनों और इसके चालकों की उचित रूप से देख-रेख करने के लिए उपयुक्त नियम की आवश्यकता होती है, इसलिए यह अधिनियम अनिवार्य है. इसलिए अगर आप यह चाहते हैं कि आप पर कोई भारी-भरकम ज़ुर्माना न लगे, तो इस अधिनियम के तहत अपने वाहनों के लिए उपयुक्त
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