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Motor Blog
12 सितंबर 2024
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आबादी और आय में होती बढ़ोत्तरी के साथ-साथ सड़कों पर वाहनों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो गई है. इससे सड़क पर सुरक्षित रूप से चलना मुश्किल हो गया है. रोज़ाना होने वाली दुर्घटनाओं में बहुत वृद्धि हो गई है, साथ ही गंभीर दुर्घटनाओं की संख्या भी पहले की तुलना में कई गुना अधिक हो गई है. सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मृत्यु की दर में भी वृद्धि हुई है. इससे न केवल पता चलता है कि हमें सावधानी से वाहन चलाने की आवश्यकता है, बल्कि इससे कार इंश्योरेंस के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातों की भी जानकारी मिलती हैं. ऐसी बहुत सी बातें हैं, जिनका कार इंश्योरेंसखरीदते समय और इसके लिए क्लेम करते समय ध्यान रखना चाहिए. यहां हम अक्सर पूछे जाने वाले एक सवाल का जवाब दे रहे हैं कि आप कितनी बार कार इंश्योरेंस का क्लेम कर सकते हैं?
आप कितनी बार इंश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं, इसको लेकर इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईआरडीएआई) की ओर से कोई लिमिट निर्धारित नहीं की गई है. इसलिए, आप अपने इंश्योरर के पास कई क्लेम फाइल कर सकते हैं और अगर वो क्लेम मान्य होंगे, तो उन्हें स्वीकार कर लिया जाएगा. लेकिन, आपको बार-बार इंश्योरेंस क्लेम नहीं करने का सुझाव दिया जाता है, खास तौर पर मामूली रिपेयरिंग के मामले में. ऐसा करने पर आपका नो-क्लेम बोनस प्रभावित होता है. एनसीबी या नो क्लेम बोनस एक अतिरिक्त लाभ है, जो आपके प्रीमियम को कम करने में मदद करता है. उदाहरण के तौर पर, अगर आप बंपर को हुए नुकसान की मामूली रिपेयरिंग या टूटे हुए मिरर के लिए क्लेम करते हैं, तो ये सही फैसला नहीं है. केवल बड़ी राशि के नुकसान के लिए क्लेम करना ही उचित है.
सबसे पहले, अगर आप कार इंश्योरेंस के तहत क्लेम करते हैं, तो उससे 'नो क्लेम बोनस' सीधे प्रभावित होता है. नो क्लेम बोनस वह छूट है, जो आपको पॉलिसी की पिछली अवधि के तहत कोई क्लेम नहीं करने पर दी जाती है, यह छूट आपको अगले वर्ष भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम पर दी जाती है. यह छूट 20% से लेकर 50% तक हो सकती है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कितने समय तक कोई क्लेम नहीं किया है. अगर आप कोई क्लेम करते हैं, तो आपका नो क्लेम बोनस शून्य हो जाता है और आपको दोबारा से जमा करना होता है. पिछले पॉलिसी वर्षों में इकट्ठा सारी छूट एक झटके में खत्म हो जाएगी. बार-बार क्लेम करने से कस्टमर की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है और इससे बाद के वर्षों में भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम भी प्रभावित होता है. बार-बार क्लेम करने से पॉलिसी का रिन्यूअल भी महंगा हो सकता है. इसलिए क्लेम तभी करें, जब रिपेयरिंग की लागत बहुत अधिक हो.
जैसा कि ऊपर बताया गया है, इसकी कोई लिमिट नहीं है कि कितनी बार क्लेम फाइल किए जा सकते हैं. लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि आपको क्लेम कब फाइल करना है. यहां पर कुछ चीज़ों के बारे में बताया गया है, जिनसे आप समझ सकते हैं कि अक्सर क्लेम करने का प्रभाव क्या हो सकता है:
पॉलिसी की अवधि के दौरान क्लेम न करने पर इंश्योरेंस कंपनी जो लाभ प्रदान करती है, वह एनसीबी या नो क्लेम बोनस कहलाता है. यह बोनस रिन्यूअल प्रीमियम में मार्कडाउन के रूप में उपलब्ध है. ऐसे मार्कडाउन का प्रतिशत ओन-डैमेज प्रीमियम के 20% से शुरू होता है और प्रत्येक लगातार क्लेम-फ्री पॉलिसी अवधि के साथ 5वें वर्ष के अंत में 50% तक होता है. इसलिए, अगर आप इंश्योरेंस क्लेम फाइल करते हैं, तो रिन्यूअल लाभ की यह राशि शून्य हो जाती है. अधिक जानकारी के लिए कृपया IRDAI की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं.
बार-बार इंश्योरेंस क्लेम करने का एक और नुकसान यह है कि आपका कम्प्रीहेंसिव कार इंश्योरेंस प्रीमियम उसकी मूल राशि में रीस्टोर किया जा रहा है. क्योंकि एनसीबी के शून्य होने पर रीस्टोरेशन के परिणामस्वरूप प्रीमियम का भुगतान मूल राशि के हिसाब से करना पड़ता है. इस कारण आपको अधिक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है.
अगर आपने स्टैंडर्ड इंश्योरेंस प्लान के साथ ज़ीरो-डेप्रिसिएशन ऐड-ऑन ले रखा है, तो आपकी पॉलिसी पार्ट्स के रिप्लेसमेंट के साथ-साथ उनके डेप्रीसिएशन के लिए भी कवरेज प्रदान करती है. क्योंकि ये ऐड-ऑन स्टैंडर्ड पॉलिसी कवर से अलग लिए जाते हैं, इसलिए उनकी शर्तें इंश्योरेंस कंपनी द्वारा परिभाषित होती हैं. इसलिए, इन शर्तों के तहत एक लिमिट हो सकती है, जिसके अनुसार तय किया जाएगा कि इंश्योरेंस क्लेम के तहत डेप्रीसिएशन कवर की राशि कितनी बार प्रदान की जा सकती है.
जब आप इंश्योरेंस क्लेम करते हैं, तो डिडक्टिबल वह राशि है जिसका भुगतान आपको अपनी जेब से करना पड़ता है. डिडक्टिबल दो प्रकार के होते हैं - अनिवार्य और स्वैच्छिक. अनिवार्य डिडक्टिबल आईआरडीएआई द्वारा तय किए जाते हैं और स्वैच्छिक डिडक्टिबल आपकी पॉलिसी की शर्तों के अनुसार तय किए जाते हैं. जिनका भुगतान आपको क्लेम करते समय करना होता है.
जैसा कि ऊपर बताया गया है, इसलिए क्लेम नंबर पर कोई लिमिट नहीं है. फिर भी, मोटर इंश्योरेंस क्लेम फाइल करने की बात पर ध्यान रखना बेहतर है. यहां हमने कुछ प्रमुख कारणों को सूचीबद्ध किया है जो हमें यह समझने में सक्षम बनाएगा कि कई कार इंश्योरेंस क्लेम फाइल नहीं किए जाने चाहिए:
अब आप जान गए हैं कि कार इंश्योरेंस क्लेम करने की कोई सीमा नहीं है; तो आपको यह जानना होगा कि कब क्लेम नहीं करना चाहिए. इसलिए यहां उन परिस्थितियों के बारे में बताया गया है, जिनमें क्लेम न करने का सुझाव दिया जाता है
ऐसे में जब आपको क्लेम करके किसी भी चीज़ का लाभ नहीं मिलने वाला, तो क्लेम न करने पर मिलने वाले लाभों को पाने से क्यों चूकें? इसके अलावा, यह भी ध्यान रखें कि अगर आप एक क्लेम के तहत एक राशि के लिए क्लेम फाइल कर रहे हैं और वह राशि दो अलग-अलग घटनाओं से संबंधित है, तो दोनों घटनाओं के लिए डिडक्टिबल अलग-अलग लागू होगा.
इसलिए, नुकसान कितना हुआ है, डिडक्टिबल की लिमिट कितनी है, 'नो क्लेम बोनस' पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इन सब बातों का आकलन करने के बाद ही क्लेम करें. जैसे क्लेम करने के लिए आकलन करना ज़रूरी है, वैसे ही यह जानना ज़रूरी है कि जब आवशयकता हो, तब कार इंश्योरेंस के लिए क्लेम कैसे करें आप.
ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं, जो निर्धारित करती हैं कि आपकी पॉलिसी का इंश्योरेंस प्रीमियम क्या होगा जो कई चीज़ों पर निर्भर करता है, जैसे आईडीवी यानी इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू में होने वाले बदलाव, प्रीमियम की राशि, क्लेम का प्रकार, जैसे क्लेम पॉलिसीधारक की गलती के कारण फाइल किया गया है या फिर थर्ड-पार्टी की गलती से, साथ ही कुछ अन्य कारण भी हैं. इसलिए क्लेम की संख्या और इंश्योरेंस प्रीमियम के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है.
नहीं, क्लेम सबमिट करने के लिए कोई समय-सीमा नहीं है, लेकिन आपको जल्द से जल्द इसे सबमिट करने की सलाह दी जाती है, जिससे इंश्योरेंस कंपनी इस देरी को आधार बनाकर आपके क्लेम को अस्वीकार न कर सके.
कार इंश्योरेंस के लिए कितने क्लेम किए जा सकते हैं, इसकी कोई सीमा नहीं है, बशर्ते कि वे आईडीवी के भीतर हों. इसलिए, आप उस पॉलिसी की राशि के तहत क्लेम कर सकती हैं.
अनुमत क्लेम की संख्या पर कोई विशिष्ट लिमिट नहीं है, लेकिन अत्यधिक क्लेम आपके नो क्लेम बोनस (NCB) को प्रभावित कर सकते हैं और पॉलिसी रिन्यूअल की शर्तों को प्रभावित कर सकते हैं.
हालांकि अधिकांश पॉलिसी एक्सीडेंट क्लेम की संख्या पर सीमा निर्धारित नहीं करती हैं, लेकिन अक्सर किए जाने वाले क्लेम के परिणामस्वरूप पॉलिसी रिन्यूअल के दौरान अधिक प्रीमियम या कड़ी शर्तें हो सकती हैं.
आप अपनी पॉलिसी की शर्तों के अनुसार एक वर्ष में कई क्लेम फाइल कर सकते हैं, लेकिन बार-बार किए गए क्लेम आपके लाभों को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे नो क्लेम बोनस (NCB).
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