इंश्योरेंस की अवधारणा 6,000 वर्ष पहले की है, जब उस समय के लोगों ने अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसी सुरक्षा कवच की आवश्यकता महसूस की. इस आवश्यकता के महत्व को समझा गया और इसके अनुसार इंश्योरेंस की शुरुआत हुई. डिक्शनरी के अनुसार इंश्योरेंस का मतलब है “
एक ऐसी व्यवस्था, जिसमें किसी संगठन द्वारा एक निर्धारित प्रीमियम के भुगतान के बदले में पॉलिसीधारक को निर्दिष्ट नुकसान होने पर, क्षति पहुंचने पर, उसके बीमार होने या उसकी मृत्यु होने पर क्षतिपूर्ति की गारंटी प्रदान की जाती है”.
सुरक्षा की इस अवधारणा की बढ़ती आवश्यकता के कारण, पहले लाइफ इंश्योरेंस और फिर उसके बाद जनरल इंश्योरेंस की शुरुआत हुई. जब भारत में इंश्योरेंस की शुरुआत हुई, तो यह सरकारी रेगुलेशन के तहत था. बाद में, इंश्योरेंस सेक्टर के बढ़ते कार्यों की देखरेख के लिए एक समर्पित नियामक की आवश्यकता महसूस हुई और एक अलग नियामक संस्थान बनाया गया, जिसे इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया या आईआरडीए नाम दिया गया.
आईआरडीए क्या है?
आईआरडीए या इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया वह सर्वोच्च संस्थान है, जो भारत में इंश्योरेंस सेक्टर की देखरेख करता है और उसे नियंत्रित करता है. आईआरडीए का मुख्य उद्देश्य पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा करना और देश में इंश्योरेंस सेक्टर को बढ़ावा देना है. जब इंश्योरेंस इंडस्ट्री को रेगुलेट करने की बात आती है, तो आईआरडीए देशभर में काम कर रहीं लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के साथ-साथ
जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को भी नियंत्रित करता है.
आईआरडीए के क्या कार्य हैं?
जैसा कि ऊपर बताया गया है, Insurance Regulatory and Development Authority of India का मुख्य उद्देश्य इंश्योरेंस एक्ट के प्रावधानों को सही ढंग से लागू कराना है. इसके मिशन को निम्न बातों से बेहतर तरीके से समझा जा सकता है-
- निष्पक्ष और उचित व्यवहार सुनिश्चित करते हुए पॉलिसीधारक के हितों की सुरक्षा करना.
- इंश्योरेंस सेक्टर का इस प्रकार सही रेगुलेशन करना कि लागू कानूनों और नियामकों की फाइनेंशियल सुदृढ़ता सुनिश्चित हो सके.
- समय-समय पर नियमों को बेहतर बनाना, ताकि इंश्योरेंस सेक्टर में कोई अस्पष्टता न रहे.
इंश्योरेंस सेक्टर में आईआरडीए की भूमिका और महत्व क्या है?
भारत में 1800 के दशक से ही औपचारिक चैनल के माध्यम से इंश्योरेंस की अवधारणा शुरू हो गई थी और उसके बाद से इसमें सकारात्मक सुधार होते गए. इसी क्रम में आगे जाकर नियामक संस्थान की स्थापना की गई, जिसने विभिन्न कानूनों को सुव्यवस्थित किया और पॉलिसीधारकों के हित में आवश्यक संशोधन किए. आईआरडीए की महत्वपूर्ण भूमिकाएं नीचे दी गई हैं -
- सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा करना.
- आम आदमी को लाभ पहुंचाने के लिए संगठित तरीके से बढ़ रही इंश्योरेंस इंडस्ट्री की दर में सुधार करना.
- इंश्योरेंस कंपनी की क्षमता का ध्यान रखने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना कि लेन-देन निष्पक्षता और फाइनेंशियल सुदृढ़ता के साथ-साथ उचित तरीके से हो रहा है.
- उचित इंश्योरेंस क्लेम का तेज़ और आसान सेटलमेंट सुनिश्चित करना.
- पॉलिसीधारक की शिकायतों को उचित चैनल के माध्यम से दूर करना.
- भ्रष्टाचार से बचाव और धोखाधड़ी को रोकना.
- निष्पक्षता और पारदर्शिता को बढ़ावा देना और फाइनेंशियल मार्केट में इंश्योरेंस कंपनियों के आचरण की देखरेख करना.
- फाइनेंशियल स्थिरता के उच्च मानकों के साथ एक भरोसेमंद मैनेजमेंट सिस्टम बनाना.
आईआरडीए किस प्रकार की इंश्योरेंस पॉलिसी को नियंत्रित करता है?
इंश्योरेंस सेक्टर को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है - लाइफ और नॉन-लाइफ, जिसे जनरल इंश्योरेंस के नाम से भी जाना जाता है. लाइफ इंश्योरेंस में, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली पॉलिसी आती हैं. लेकिन जनरल इंश्योरेंस क्या है? जनरल इंश्योरेंस जीवन के अलावा अन्य सभी चीज़ों को कवर करता है, जिनमें शामिल हैं
हेल्थ इंश्योरेंस,
कार इंश्योरेंस, टू व्हीलर इंश्योरेंस, होम इंश्योरेंस, कमर्शियल इंश्योरेंस, ट्रैवल इंश्योरेंस व और भी बहुत कुछ. ये कुछ महत्वपूर्ण पॉलिसी हैं, जिनकी देखरेख आईआरडीए करता है. लेकिन आईआरडीए की भूमिका केवल इन्हीं पॉलिसी की देखरेख तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश में कारोबार चलाने के लिए इंश्योरेंस कंपनियों को रजिस्ट्रेशन भी प्रदान करता है. यह इंश्योरर और पॉलिसीधारकों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों को भी सुलझाता है और ऐसे ही कई अन्य कार्य भी करता है.
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