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भारत में आम गंभीर बीमारियां और उनके ट्रीटमेंट की लागत

  • Health Blog

  • 08 नवंबर 2024

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Contents

  • यहां हम अक्सर होने वाली कुछ गंभीर बीमारियों और उनके ट्रीटमेंट की लागत बता रहे हैं
  • संक्षेप में

कैंसर या हृदय रोग जैसी जानलेवा बीमारियां बढ़ रही हैं. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार भारत में हर वर्ष दस लाख से अधिक नए कैंसर रोगियों की पहचान होती है. लैंसेट द्वारा प्रकाशित एक अन्य अध्ययन के अनुसार भारत में हृदय संबंधी बीमारियों के कारण ग्रामीण इलाकों में मौतों की संख्या शहरी इलाकों को पीछे छोड़ चुकी है. हालांकि हेल्दी लाइफ स्टाइल हृदय रोगों जैसी कुछ जानलेवा बीमारियों के होने की संभावना घटा सकती है, लेकिन कैंसर जैसी दूसरी बीमारियां बहुत ही अप्रत्याशित हो सकती हैं. पहले ऐसी बीमारियों के होने संभावनाएं दुर्लभ हुआ करती थीं, लेकिन अब चीज़ें बदल गई हैं. हमें कैंसर, हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है, किडनी से जुड़ी बीमारियां व और भी कई. साथ ही, इन गंभीर बीमारियों के ट्रीटमेंट की लागत बढ़ रही है और यह आपके और आपके परिवार के लिए एक बड़ा फाइनेंशियल बोझ बन सकती है. बेहद खराब मामलों में, आपकी बचत ज़ीरो हो सकती है और आप कर्ज़ के जाल में फंस सकते हैं या आपके फाइनेंशियल लक्ष्यों की गाड़ी पटरी से उतर सकती है. ऐसे भयानक हालात से बचने के लिए हम आपको क्रिटिकल इलनेस कवर चुनने की सलाह देते हैं. अगर आपके पास मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी, you should further consider adding a critical illness insurance add-on to it. Also, critical illness insurance can be bought as a standalone policy too

यहां हम अक्सर होने वाली कुछ गंभीर बीमारियों और उनके ट्रीटमेंट की लागत बता रहे हैं 

1. कैंसर

कैंसर एक आनुवंशिक विकार है, जिसमें शरीर के किसी खास भाग या अंग में अनियंत्रित कोशिका वृद्धि होती है, जो शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती है. कोशिकाओं में इस तरह की वृद्धि के लिए कार्सिनोजेनिक कोशिकाएं ज़िम्मेदार होती हैं. इस तरह की अनियमित कोशिका वृद्धि की वजह से गांठें हो जाती हैं, जो कैंसर का प्रारंभिक लक्षण मानी जाती हैं. कैंसर तेज़ी से बढ़ती बीमारियों में से एक है, जिसके लिए अधिक से अधिक लोग हेल्थ कवर चुन रहे हैं. इसके इलाज में होने वाले अधिक खर्च के चलते, इलाज कराने के लिए क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस खरीदना समझदारी भरा निर्णय है. Indian Council of Medical Research (ICMR) के एक अध्ययन का अनुमान है कि कैंसर के कारण होने वाली मौतों की संख्या 2020 तक 8.8 लाख से अधिक हो जाएगी. अगर परिवार के कमाऊ सदस्य को कैंसर होने का पता चलता है, तो निश्चित रूप से इससे परिवार फाइनेंशियल रूप से प्रभावित होगा. कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी और दवाओं के साथ-साथ, बार-बार चेकअप के लिए जाने की आवश्यकता होती है. ये दवाएं मंहगी होती हैं, और इसलिए एक क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी comes handy. Chemotherapy cycles cost anywhere between ₹1 to ₹2 lakh whereas the drugs range between ₹75,000 to ₹1 lakh. All in all, cancer treatments can set you back by more than ₹10 lakhs depending on the severity of the disease.

2. हृदय रोग

हृदय रोगों के कारण मौतों की संख्या काफी बढ़ी है. इसके प्रमुख कारणों में से एक है स्ट्रोक और इस्केमिक हार्ट डिसीज़. खान-पान की अस्वस्थ आदतें, अधिक कोलेस्टेरॉल वाला भोजन लेना, तनाव, हाइपरटेंशन, मोटापा और धूम्रपान हृदय रोगों की संख्या बढ़ने के कुछ अहम कारण हैं. कोरोनरी धमनी रोग, जन्मजात हृदय रोग, पल्मोनरी स्टेनोसिस और डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी भारत में प्रचलित हृदय रोगों के कुछ आम उदाहरण हैं. हृदय रोगों में वृद्धि मुख्य रूप से लाइफ स्टाइल में बदलाव के कारण होती है. इन हृदय रोगों का ट्रीटमेंट काफी महंगा पड़ता है. इसकी शुरुआत रु. 3 लाख से हो सकती है और यह आपके हृदय रोग की जटिलता पर निर्भर है. साथ ही, इन ट्रीटमेंट के बाद निरंतर फॉलो-अप भी होता है, जिससे भारी-भरकम हॉस्पिटल बिल बन सकता है. क्रिटिकल इलनेस कवर ऐसे समय में आपको लंपसम भुगतान सुविधा के साथ-साथ आपकी बचत की सुरक्षा में मदद देता है. यह स्पेशल्टी हॉस्पिटल में स्पेशलिस्ट डॉक्टर से सही ट्रीटमेंट लेने में आपकी मदद कर सकता है.

3. किडनी से जुड़ी बीमारियां

अध्ययन से पता चलता है कि हर दस लोगों में से एक को किडनी की बीमारी होती है. हालांकि ट्रीटमेंट संभव है, पर यह दूसरे ट्रीटमेंट से काफी महंगा होता है. किडनी की बीमारी या उसके ठीक से काम नहीं करने के ट्रीटमेंट के लिए डायलिसिस और किडनी रिप्लेसमेंट ज़रूरी होते हैं. हालांकि, किडनी की बीमारी से ग्रस्त हर व्यक्ति रिप्लेसमेंट की लागत झेल सके ऐसा नहीं है, पर डायलिसिस के मामले में भी हालात अच्छे नहीं हैं; हर चार में से बस एक रोगी ही डायलिसिस की लागत झेल पाता है. आप शायद इस आंकड़े को देखकर चौंक गए होंगे, पर ऐसा ही है क्योंकि डायलिसिस के ट्रीटमेंट की लागत लगभग रु. 18,000 - रु. 20,000 से शुरू हो सकती है, जबकि ट्रांसप्लांट के लिए कंप्लीट मैच मिलना और भी कठिन होता है और उसकी लागत रु. 6.5 लाख से ऊपर जा सकती है. साथ ही, ट्रांसप्लांट सफल हो जाने के बाद, स्टेरॉयड दवाओं, सप्लीमेंट और इम्यूनोसप्रेसेंट दवाओं पर निर्भरता बढ़ जाती है, जिन पर बार-बार लगभग रु. 5,000 की लागत आती है. ये अक्सर होने वाले मेडिकल खर्च आपकी जेब में छेद कर सकते हैं लेकिन क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से आप अपने ट्रीटमेंट की अधिकांश लागत को कवर कर सकते हैं.

4. लीवर सिरोसिस

लिवर सिरोसिस के मामले बढ़ रहे हैं और प्रत्येक वर्ष लगभग 10 लाख लोग इससे पीड़ित हो रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, यह देश में मृत्यु का दसवां सबसे सामान्य कारण है. सिरोसिस का पता चलने के बाद, लिवर ट्रांसप्लांट करना ही एकमात्र उपलब्ध इलाज है, और ऐसा नहीं करने पर कुछ वर्षों के भीतर मरीज़ की मौत हो सकती है. क्योंकि इसके इलाज के लिए लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा कुछ और नहीं किया जा सकता, इसलिए यह एक महंगा इलाज है और इसका खर्च रु.10 लाख से रु. 20 लाख के बीच आता है. इसके अलावा, सही डोनर की तलाश करना भी इतना ही मुश्किल है. साथ ही, ट्रांसप्लांट के बाद इम्यूनोसप्रेसेंट की आवश्यकता होती है जो इलाज के खर्च को और बढ़ा देता है. इसलिए ऐसी बीमारियों के लिए क्रिटिकल इलनेस कवर का होना एक वरदान है.

5. अल्ज़ाइमर की बीमारी

बुज़ुर्गों की संख्या बढ़ने के साथ, उनके अल्ज़ाइमर की जकड़ में आने की संभावना भी बढ़ रही है. 2017 की इंडिया एजिंग रिपोर्ट में बुज़ुर्गों की संख्या में वृद्धि की दर लगभग 3% बताई गई है. यानी अल्ज़ाइमर के और अधिक केस आएंगे. अल्ज़ाइमर के ट्रीटमेंट के लिए प्रेस्क्रिप्शन पर मिलने वाली दवाओं की अक्सर और बार-बार ज़रूरत पड़ती है. इन दवाओं की लागत रु. 40,000 प्रति माह से अधिक होती है. बीमारी की गंभीरता बढ़ने के साथ-साथ दवाओं की डोज़ भी बढ़ानी पड़ती है जिससे उन पर होने वाला खर्च भी बढ़ जाता है.

संक्षेप में

हेल्थकेयर की इन आसमान चूमती लागतों को ध्यान में रखते हुए, भारत में क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस खरीदने की सलाह दी जाती है. इससे आप न केवल ट्रीटमेंट की लागत को कवर कर सकते हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके परिवार को कठिन समय में बेहद ज़रूरी फाइनेंशियल मदद मिले.

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