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GST on Health Insurance
2 फरवरी, 2021

मेडिकल इंश्योरेंस पर जीएसटी - सभी ज़रूरी जानकारी

गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स यानि जीएसटी ने प्रॉडक्ट और सर्विसेज़ पर लागू कई टैक्स सिस्टम के व्यापक प्रभावों को खत्म कर दिया है. जीएसटी से इंश्योरेंस सेक्टर भी प्रभावित हुआ है. इस सेक्टर में कीमतें 3% बढ़ी हैं, जिससे पर्सनल फाइनेंस पर पड़ने वाला प्रभाव बढ़ गया है, हालांकि यह बढ़त मामूली है. आइए, हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी के प्रभाव, प्रीमियम पर जीएसटी दरों के प्रभाव, और जीएसटी के साथ मेडिकल इंश्योरेंस के रिन्यूअल पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानें.

जीएसटी आपके हेल्थ इंश्योरेंस प्लान को कैसे प्रभावित करता है?

इकॉनमी के सभी सेक्टर पर प्रभाव डालने के साथ जीएसटी ने पहले से लागू सर्विस टैक्स दरों के कारण इंश्योरेंस प्लान को मुख्य रूप से प्रभावित किया है. जनरल इंश्योरेंस पॉलिसी और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, दोनों ही पर 18% जीएसटी लगता है. यह भी जानें कि हेल्थ इंश्योरेंस पर लगने वाले जीएसटी में सर्विस टैक्स शामिल है, जो प्रीमियम दरों को प्रभावित करता है (आगे आर्टिकल में चर्चा की गई है).

जीएसटी के साथ प्रीमियम

कुल हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम राशि पर जीएसटी लगाया जाता है. लाइफ इंश्योरेंस के मामले में प्रीमियम के केवल जोखिम कवरेज वाले भाग पर जीएसटी लगता है. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का इन्वेस्टमेंट वाला भाग, जो मेच्योरिटी लाभ देता है, उस पर जीएसटी नहीं लगता है. जैसे, रु. 10,000 के प्रीमियम पर रु. 5 लाख की कवरेज देने वाली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर यह प्रभाव पड़ेगा: जीएसटी से पहले, प्रीमियम पर 15% टैक्स लागू था. इस प्रकार, रु. 5 लाख के कवरेज पर कुल टैक्स रु. 10,000 का 15% होगा, जो रु. 1,500 के बराबर है, यानि कुल प्रीमियम रु. 11,500 होगा. जीएसटी लागू होने के बाद, वर्तमान में लागू टैक्स 18% है. इसलिए, नया टैक्स रु. 10,000 का 18% होगा, यानि प्रीमियम की कुल नई राशि रु. 11,800 होगी. इस तरह से देखें तो, पिछले टैक्स सिस्टम की तुलना में जीएसटी के साथ प्रीमियम बढ़ गए हैं. हालांकि, जिन लोगों ने जीएसटी से पहले लॉन्ग टर्म पॉलिसी खरीदी है, उनको छूट मिली है. उन पर जीएसटी का प्रभाव कोई नहीं पड़ेगा. लेकिन रिन्यूअल के समय प्रीमियम में 18% जीएसटी जोड़ा जाएगा.

हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी के फायदे और नुकसान

मेडिकल इंश्योरेंस पर जीएसटी से पड़े पॉज़िटिव प्रभाव के चलते किफायती प्रीमियम वाली कई इंश्योरेंस पॉलिसी मार्केट में आई हैं. यह एक वरदान साबित हुआ है, क्योंकि हेल्थकेयर के लगातार बढ़ रहे खर्चों के कारण हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वाले लोगों पर पड़ने वाला फाइनेंशियल बोझ भी उसी अनुपात में बढ़ रहा है. आज मार्केट में किफायती प्रीमियम इतने कामयाब साबित हुए हैं कि अब लोग पहले से कहीं अधिक हेल्थ इंश्योरेंस खरीद रहे हैं. हालांकि, अगर हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी के निगेटिव प्रभाव की बात करें, तो लागू टैक्स दरों पर लगने वाले अतिरिक्त शुल्क के कारण इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता है. ग्रुप पॉलिसी वाले पॉलिसीधारकों के लिए भी स्थिति समान है. व्यक्तियों या ग्रुप पॉलिसीधारकों के लिए भी इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध नहीं है.

टैक्स कटौतियों पर जीएसटी का प्रभाव

जीएसटी व्यवस्था में इंश्योरेंस को एक सर्विस माना जाता है. ग्रुप पॉलिसीधारकों के लिए टैक्स लाभ अब उपलब्ध नहीं हैं. टर्म इंश्योरेंस प्रीमियम पर पहले 15% टैक्स लगता था, लेकिन अब उन पर 18% टैक्स लगता है. यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान और एंडोमेंट प्लान के इन्वेस्टमेंट वाले भाग पर पहले कम दर पर सर्विस टैक्स लगता था. जैसे, शुरुआती प्रीमियम पर रियायती दरें पहले 3.75% थी, जो अब बढ़कर 4.50% हो गई हैं. रिन्यूअल पर पहले 1.875% की दर लागू थी, जो अब बढ़कर 2.25% हो गई है. यूलिप पर पहले 15% टैक्स लागू था, जो अब बढ़कर 18% हो गया है. सर्विस टैक्स वाला भाग पहले 1.5% था, जो अब बढ़कर 1.8% हो गया है. पॉलिसी चाहे एंडोमेंट प्लान हो या यूलिप, अब कोई रियायती दर मौजूद नहीं है.

सेक्शन 80C और 80D के तहत टैक्स सेविंग

पॉलिसीधारक इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80D के तहत कटौती और सेक्शन 80C के तहत कटौतियों की मदद से टैक्स लाभ पाते हैं. सेक्शन 80C और 80D के अनुसार आयकर अधिनियम, निर्दिष्ट करदाता विशिष्ट इंश्योरेंस स्कीम के लिए कंपनी को भुगतान किए गए पूरे प्रीमियम के लिए कटौती का क्लेम कर सकते हैं. मेडिकल इंश्योरेंस पर, सर्विस की असल वैल्यू के साथ इनडायरेक्ट टैक्स के रूप में जीएसटी लगाया जाता है. GST कानूनों के तहत इस प्रकार ली जाने वाली पूरी राशि को वर्तमान मानदंडों के अनुसार कटौती के रूप में क्लेम किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, पॉलिसी का सम इंश्योर्ड ₹10 लाख है. 30 वर्षीय पॉलिसीधारक के लिए इस पॉलिसी का बेसिक प्रीमियम 7,000 होगा, और 7,000 पर 18% यानि रु. 1260 का जीएसटी जुड़ेगा. यानि कुल प्रीमियम रु. 8260 होगा. इसी प्रकार, एक 50 वर्षीय व्यक्ति के लिए इसी पॉलिसी का बेसिक प्रीमियम रु. 17,000 है, और रु. 17,000 पर 18% जीएसटी जुड़ने से कुल प्रीमियम रु. 20,060 हो जाएगा. दोनों मामलों में बेसिक प्रीमियम पर लागू जीएसटी की अतिरिक्त राशि, सेक्शन 80D के तहत टैक्स बचाने वाला कटौती लाभ पाने के लिए क्लेम की जा सकती है. यानि, रु. 8,260 और 20,060 की कुल प्रीमियम राशियां सेक्शन 80D के तहत कटौती के रूप में क्लेम की जा सकती हैं. हालांकि, सेक्शन विशेष के तहत टैक्स बचाने वाली कटौती की अधिकतम राशि, उस सेक्शन द्वारा लागू इन्वेस्टमेंट लिमिट से तय होती है.

संक्षेप में

भुगतान चाहे जिस भी माध्यम से हो, एडवांस प्रीमियम और ऑन-डेट प्रीमियम, दोनों ही पर जीएसटी लगता है. जीएसटी लागू होने से कई नई पॉलिसी बनी हैं, जिनसे हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लोगों के लिए किफायती हो गई हैं. जीएसटी रिफंड से जुड़ी समस्याओं की बात करें, तो हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी चुकाने वाले व्यक्ति जीएसटी रिफंड क्लेम नहीं कर सकते हैं. कंपनी की ओर से दी गई हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम शीट में जीएसटी की राशि अलग से लिखी होती है. नई टैक्स व्यवस्था के जोखिम और लाभों के साथ और नए प्रावधान भी आए हैं. अगर पॉलिसीधारक लंबे समय के लिए अच्छी पॉलिसी सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो यह ज़रूरी है कि वे प्रीमियम, अवधि, क्लेम सेटलमेंट रेशियो और प्रोसेस आदि बातों को चेक करें.

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