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Health Blog
31 मार्च 2021
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डब्ल्यूएचओ के अनुसार लगभग 70% भारतीय हेल्थकेयर और दवा के खर्चों पर अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं. आजकल मध्यम आय और निम्न-मध्यम-आय समूह के लोगों के लिए हेल्थकेयर के खर्चे उठा पाना लगभग असंभव हो गया है. यही कारण है कि लोगों के लिए अपना तय प्रीमियम चुकाकर हेल्थ इंश्योरेंस हेल्थ इंश्योरेंस लेना ज़रूरी हो गया है, ताकि वे दुर्घटना या किसी दूसरी मेडिकल एमरजेंसी के मामले में फाइनेंशियल मदद पा सकें. यह समझना ज़रूरी है कि हेल्थ इंश्योरेंस में को-पे क्या है ताकि सही पॉलिसी चुनी जा सके.
आजकल हेल्थ इंश्योरेंस में काफी धोखाधड़ी होने लगी है. इंश्योर्ड व्यक्ति धोखाधड़ी के लिए प्रेरित न हो, इसके लिए इंश्योरेंस कंपनियां को-पे का उपाय लेकर आई हैं. को-पे का मतलब समझना आसान है. को-पे एक शर्त है, जिस पर इंश्योरेंस के कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर करते समय दोनों पक्ष सहमत होते हैं. को-पे क्लॉज़ में यह लिखा होता है कि इंश्योर्ड व्यक्ति को क्लेम राशि का एक हिस्सा या कुछ प्रतिशत अपनी जेब से चुकाना होगा और बाकी क्लेम इंश्योरेंस कंपनी चुकाएगी. आमतौर पर को-पे 10-30% तक होता है.
अब आप जानते हैं कि को-पे का सिद्धांत क्या है, तो अब आप उदाहरण की मदद से अधिक अच्छे से समझ पाएंगे कि हेल्थ इंश्योरेंस में को-पे क्या होता है. उदाहरण के लिए, अगर आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी में 20 प्रतिशत का को-पे क्लॉज़ है और आपकी मेडिकल खर्च राशि रु. 15,00,000 है, तो आपको अपनी जेब से रु. 3,00,000 चुकाने होंगे और इंश्योरेंस कंपनी बाकी की राशि यानी रु. 12,00,000 चुकाएगी.
किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस में दो तरह के क्लेम होते हैं, पहला, कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम और दूसरा, हुए खर्चों का रीइम्बर्समेंट. कैशलेस भुगतान विकल्प के मामले में, इंश्योरेंस कंपनी आपके खर्चे सीधे हॉस्पिटल को चुकाती है. जबकि, के मामले में रीइमबर्समेंट क्लेम, इंश्योरर आपके इलाज के दौरान आपके द्वारा किए गए सभी खर्चों की प्रतिपूर्ति करेगा. अब, को-पे का विकल्प चुनने पर दो स्थितियां हो सकती हैं. अगर आप अधिक को-पे चुनते हैं, तो आपको कम इंश्योरेंस प्रीमियम चुकाना होगा, लेकिन कम को-पे चुनने पर आपको अपनी पॉलिसी के लिए अधिक प्रीमियम चुकाना होगा.
क्लेम के दौरान खर्चे बचाने के मुख्य कारण के साथ-साथ और इसके कई और कारण भी हैं, जिनके चलते इंश्योरेंस कंपनियां को-पे क्लॉज़ लगाती हैं.
वैसे तो बहुत सी कंपनियां को-पे क्लॉज़ का विकल्प चुनती हैं, लेकिन ऐसी भी कई इंश्योरेंस कंपनियां हैं, जो विभिन्न कारणों से इंश्योरेंस पॉलिसी में को-पे क्लॉज़ नहीं जोड़ने का विकल्प चुनती हैं.
जो लोग मेडिकल इंश्योरेंस प्रॉडक्ट और पॉलिसी को अच्छे से जानते हैं, वे को-पे क्लॉज़ वाली इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं खरीदेंगे, क्योंकि वे जानते हैं कि इससे फायदों से कहीं अधिक नुकसान होता है.
लोग हेल्थ इंश्योरेंस में को-पे इसलिए चुनते हैं, क्योंकि इसमें उन्हें कम प्रीमियम चुकाना पड़ता है, यानी उन्हें यह इंश्योरेंस, दूसरी इंश्योरेंस पॉलिसी से सस्ता पड़ता है.
अधिकतर मामलों में को-पे क्लॉज़ केवल रीइम्बर्समेंट विकल्पों पर लागू होते हैं.
हां, को-पे क्लॉज वाली पॉलिसी दूसरे क्लेम सेटलमेंट विकल्पों से सस्ती होती हैं, क्योंकि लायबिलिटी पॉलिसीधारक और इंश्योरेंस कंपनी के बीच बंट जाती है. यह दोनों पक्षों के लिए लाभदायक साबित होता है.
हमें विश्वास है कि अब आपको को-पे का मतलब पता चल गया होगा! अब आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय सोच-समझकर निर्णय ले सकते हैं और को-पे के सिद्धांत की सारी कमियां और खूबियां जानते हुए को-पे का विकल्प चुन सकते हैं. *मानक नियम व शर्तें लागू बीमा आग्रह की विषयवस्तु है. लाभों, शामिल न की गई चीज़ों, सीमाओं, नियम और शर्तों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया इंश्योरेंस खरीदने से पहले सेल्स ब्रोशर/पॉलिसी डॉक्यूमेंट को ध्यान से पढ़ें.
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